१. संज्ञा
/ निर्जीव
/ अमूर्त
अर्थ : ऋणत्रय में से एक ऋण।
उदाहरण :
ऋषि-मुनि-संतों के विचारों, आदर्शों को अपने जीवन में उतारकर, उनका प्रचार-प्रसार कर एवं उन्हे लक्ष्य मानकर आदरसहित आचरण कर ऋषिऋण से मुक्त हुआ जाता है।
पर्यायवाची :
ऋषि ऋण, ऋषि-ऋण
ऋणत्रयांपैकी एक असलेले ज्ञान देणार्या व्यक्तींसंबंधीचे ऋण.
अध्ययन आणि अध्यापन हा ऋषिऋण फेडण्याचा मार्ग आहे.
ऋषिऋण